Wednesday, April 21, 2010

बहुत दिनों बाद

कुछ लिखने का मन किया है
आज बहुत दिनों बाद।

मन किया है, नहीं नहीं….
शायद ज़ख्‍मों का दर्द हरा है
आज बहुत दिनों बाद।

ज़ख्‍मों का दर्द, नहीं नहीं….
शायद ख़ुद से बात हुई है
आज बहुत दिनों बाद।

ख़ुद से बात? हाँ हुई है,
शायद मेरा वक्त हुआ है साथ
आज बहुत दिनों बाद।

न लिख पाने की मजबूरी में तो
रोज़ रोता था मेरा मन,
खाली पन्‍नों पर रोईं हैं आँखें
आज बहुत दिनों बाद।

मन भी वही है, ज़ख्‍म भी वही हैं
दर्द भी है वही,
शायद शब्‍दों ने साथ दिया है
आज बहुत दिनो बाद।

मैं भी वही हूँ, मेरी मजबूरी वही है
और हैं खाली पन्‍ने भी वही
शायद कलम ने साथ दिया है
आज बहुत दिनों बाद…..

Wednesday, December 30, 2009

नव वर्ष

नव वर्ष की बेला आई

खुशियों की सौगातें लाई

नया कर गुजरने का मौका

सद्‌भावों की नौका लाई

नया वर्ष है, नया तराना

झूमो-नाचो, गाओ गाना

इस वर्ष संकल्‍प है अपना

नहीं किसी को है सताना

बदला साल, कैलेण्‍डर बदला

बदला है इस तरह जमाना

भेजो सबको स्‍नेह निमंत्रण

गाओ नव वर्ष का तराना।



हिमांशु कुमार पन्त

Himanshu Kumar Pant

eWebGuru.com

Saturday, November 14, 2009

बधाई !!

बधाई !!
एक शब्द, एक संवाद, एक एहसास,
जो महका करेगा महफ़िल में,
हम रहे या ना रहे रस्ते में,
यही आवाज़ गूंजेगी दिल में-
"तारो की चमक, फूलों की रंगत मिले,
हर मोड़ पर तुमको मोहब्बत मिले...
और महका करे मौजूदगी से आपकी फिजा,
ज़मी पे आपको रौनक-ए-जन्नत मिले..."
और खामोश सदाओं में भी गूँज उठे एक सदा...
जैसे कि शहनाई-
बधाई !! बधाई !! बधाई..........

तुम्‍हारे जन्‍मदिन पर

फूलों की घाटी में
प्रकृति ने आज ही खिलाये होंगे
सबसे सुंदर-सुगंधित फूल
आसमान के आईने में
पृथ्वी ने देखा होगा
अपना अद्भुत रूप
पक्षियों ने गाये होंगे
सबसे मीठे गीत
तुम्हारी पहली किलकारी में
कोयल ने जोड़ी होगी अपनी तान
सृष्टि ने उंडेल दिया होगा
अपना सर्वोत्‍तम रूप
तुम्हारे भीतर

आज ही के दिन
कवियों ने लिखी होंगी
अपनी सर्वश्रेष्ठ कविताएँ
संगीतकारों ने रची होगी
अपनी सर्वोत्‍तम रचनाएँ

आज ही के दिन
शिव मुग्ध हुए होंगे
पार्वती के रूप पर
बुद्ध को मिला होगा ज्ञान
फिर से जी उठे होंगे ईसा मसीह
हज़रत मुहम्मद ने दिया होगा पहला उपदेश

Himanshu with his family



This is Himanshu Kumar Pant with his family. This was the tour to Veshno Devi.